Friday, August 28, 2009

गोपाल दास नीरज/ नयन तुम्हारे

बदल गए अब नयन तुम्हारे।
साथ साथ हम चले डगर पर,
मई रो रो कर, तुम हंस हंस कर,
लिए गोद में किंतु न तुमने मेरे अश्रु बिचारे.
बदल गए......
जिनमे स्नेह सिन्धु लहराया,
प्रीती भरा काजल मुस्कराया,
देखे उनमे आज घ्रणाके धधक रहे अंगारे।
बदल गए ......
सोच रहा मैं एकाकी मन,
कितना कठिन प्रेम का बंधन,
वहीं गए हर बार जहाँ हम जीती बाजीहारे।
बदल गए......

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