एक छोटा सा विन्दु (.) एक बड़े वाक्य पर विराम लगा देता है. किन्तु कुछ और बिंदु (...) मिल जाएँ , तो वे उस वाक्य को एक निरंतरता दे सकते हैं. आश्चर्यजनक किन्तु सत्य है कि हर अंत एक शुरुआत हो सकता है.
जहां दुसरे लोग संदेह करे, वहां विशवास करो. जहां दुसरे काम करने से मन कर दे , वहां काम करो. जहां दुसरे लोग बर्वाद करें , वहां बचाओ . जहां दुसरे लोग मैदान छोड़ कर भाग रहे हो , वहां डट जाओ. दुसरे से अलग बनाने का साहस रखो . तभी विजेता बनोगे..
(अमिताभ बच्चन के शब्द)
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