मेरे परम पूज्य गुरुदेव (डायट अजीतमल औरैया )द्बारा लिखित।
कमा ले दौलत मनचाही, जुटा ले हीरे और मोती.
ध्यान मगर इतना रखना, कफ़न में जेब नहीं होती .
कोठी और बंगले बनवा ले, हवादार जंगल लगवा ले,
भाति भाति के द्वार सजा ले, मन चाहे रंग से रंगवा ले.
देख धनवान घर आँगन, ख़ुशी मन में बहुत होती.
ध्यान मगर इतना रखना, कफ़न में जेब नहीं होती .
रेशम सूती खद्दर पहने, चाहे सब सोने के गहने,
तेरे सगे भाई और बहने, ले उतार, कुछ ना दे रहने.
सिला लो मन चाहे जैसा, कीमती कुर्ता और धोती.
ध्यान मगर इतना रखना, कफ़न में जेब नहीं होती .
एक दिन होए जो सबका होता,
उड़ जाए पिंजडे से तोता,
बेटा-बेटी नाती पोता,
भाई बंधू सबको दुःख होता.
नारी तेरी प्रारण से प्यारी ,
शीश निज पटक पटक रोती.
ध्यान मगर इतना रखना, कफ़न में जेब नहीं होती