Thursday, January 21, 2010
साहिर लुधियानवी
ऐ मेरी जान ! मुझे हैरतों - हसरत से न देख
हम में कोई भी जहानूरो - जहांगीर नहीं
तू मुझे छोड़ के ठुकरा के भी जा सकती है
तेरे हाथों में मेरे हाथ हैं , जंजीर नहीं .
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