Friday, October 3, 2008

MEMORIES

ज़रा पन्ने तो पलटिये,
यादों की उन किताबों के ,
जिन्हें हम पीछे भूल आये हैं ।
उन पन्नों के बीच ,
कुछ सूखे मुरझाये
फूल मिलेंगे,
वो सुनाते हैं कहानी ,
उन दिनों की ,
जब सर्दियों की सुबह ,
वो खिले थे, निखरे थे ,
हवा के साथ झूमते थे।
ओस की बूंदों में ,
लिपटे वे फूल
कितने सुन्दर थे,
कितने अच्छे थे।
अब वो दिन कहाँ?

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