इस जिन्दगी में बहुत आए आपकी तरह,
पर दिल में यूँ उतर न पाये आपकी तरह।
सुंदर तो सब थे अपनी तरह,
कोई खुबसूरत न था आपकी तरह।
सबकी नजरों में गहराई थी पर,
झील सी गहराई न थी आपकी तरह।
सादगी पसंद तो थे सभी मगर,
सादगी न थी किसी में आपकी तरह।
सच्चाई तो थी सभी में मगर,
सचमुच में सच न था वो आपकी तरह।
देखा सभी को मगर दिल झुक न सका,
क्योंकि इतने प्यारे नही थे आपकी तरह।
आप तो आप हैं, आप ही आप हैं,
क्योंकि हर कोई नहीं है आपकी तरह।
Vastav me sundar kavita hai. Jo shayad sidhe kisi ke dil se nikli hai.
ReplyDeleteBahut khub bhai
ReplyDeleteReally it is very nice.
Mohd. Hashim