Thursday, October 9, 2008
sahir's katye 1
न मुंह छुपा के जिए हम , न सर झुका के जिए
सितमगरों की नजर से नजर मिला के जिए
अब एक रात अगर कम जिए , तो कम ही सही
यही बहुत है की हम मशालें जला के जिए ।
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