Saturday, November 1, 2008

h.r. bacchan

आदर्श प्रेम
प्यार किसी को करना लेकिन
कह्कर उसे बताना क्या
अपने को अर्पण करना पर
और को अपनाना क्या

गुण का ग्राहक बनना लेकिन
गाकर उसे सुनाना क्या
मन के कल्पित भावोँ से
औरोँ को भ्रम मे लाना क्या

ले लेना सुगन्ध सुमनोँ की
तोड उन्हेँ मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिन
प्रेम पाश फैलाना क्या


त्याग अँक मे पले प्रेम शिशु
उनमे स्वार्थ बताना क्या
देकर ह्रिदय ह्रिदय पाने की
आशा व्यर्थ लगाना क्या

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